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#क्या_आपको_ज्ञात है कि "कभी कभी" गज़ल साहिर लुधियानवी ने 18 वर्ष की आयु में लिखी थी. लिखी क्या थी ये उनके दिल की कराहट थी. हुआ यूँ की वे कालिज में पढते थे. उनकी एक सहपाठी थी जिसका नाम था मोहिंदर चौधरी. वो साहिर को बहुत अच्छी लगती थी.

उन दिनों तपेदिक लाइलाज बीमारी थी. मोहिंदर चौधरी को तपेदिक थी और वे उसी के कारण स्वर्ग सिधार गई.

जब मोहिंदर का अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो मज़हब आड़े आ गया और साहिर शमशान में उसके अंतिम दर्शन करने भी नहीं जा सके. उन्होंने कई साथियों से कहा कि कोई उसका चित्र ही ला कर दे दो. मगर उनकी वो ख्वाहिश भी पूरी न हो सकी. साहिर ने फिर वो मशहूर गज़ल लिखी जो बाद में एक फिल्म में भी प्रयोग की गई.

वैसे फ़िल्मी गज़ल और मौलिक गज़ल में काफी अन्तेर हैं. मौलिक गज़ल का लुत्फ़ आप भी उठायें. ये होता है #सच्चा_प्रेम.
https://www.youtube.com/watch?v=qoMf9ETuirE 

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