#मन_की_बात
डैने चाहे किसी के
कितने ही मजबूत हों,
उड़ना तो हो सकेगा
जब अपने पंख हों.
बैसाखियों के सहारे
कोई दूर नहीं जा सकता,
लक्ष्य हासिल करने हेतु
उनको छोडना है पड़ता.
मगर याद रखो सीढ़ी को
जिसने दिया था सहारा
उसके बिना कैसे होता
इतना ऊंचा कद तुम्हारा?
#मन_की_बात
डैने चाहे किसी के
कितने ही मजबूत हों,
उड़ना तो हो सकेगा
जब अपने पंख हों.
बैसाखियों के सहारे
कोई दूर नहीं जा सकता,
लक्ष्य हासिल करने हेतु
उनको छोडना है पड़ता.
मगर याद रखो सीढ़ी को
जिसने दिया था सहारा
उसके बिना कैसे होता
इतना ऊंचा कद तुम्हारा?
Comments
Post a Comment