#सेंगोल_विवाद ने द हिन्दू की अध्यक्ष मालिनी पार्थसारथी की कुर्सी की बलि ले ली, उन्हें अखबार के मुखिया पद से इस्तीफा देना पड़ा है!
मालिनी की रस्साकस्सी द हिन्दू के अन्य बोर्ड मेंबर्स के साथ चल रही थी. मालिनी मोदी और भाजपा के सुर में सुर मिला रही थी जबकि बोर्ड के अन्य सदस्य मोदी समूह द्वारा उडाई जा रही झूठी अफवाहों का खंडन कर रहे थे.
मोदी समूह और मालिनी की सरकारी घोषणा जो कहती है कि सेंगोल को #माउंटबेटन ने देश के पहले प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को सत्ता स्थानांतरण के प्रतीक के तौर पर दिलवाया था, एक दम झूठ है!
हिन्दू के एक पत्रकार ने तथ्यों के साथ ये सिद्ध कर दिया था कि ये झूठे दावे हैं. दिग्गज पत्रकार और हिन्दू के पुराने अध्यक्ष एन. राम ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके 29 अगस्त 1947 के हिन्दू का वो संस्करण लोगों के सामने रख दिया था जिसमें सेंगोल को नेहरू को सौंपते समय की ख़बर प्रकाशित थी!
इस पूरी खबर में कहीं भी माउंटबेटेन वाली कहानी का कोई जिक्र नही है और न ही #राजगोपलाचारी जी का कोई बयान!
एन. राम के अनुसार कुल मिला कर सेंगोल एक निजी मठ की तरफ से नये बने प्रधानमंत्री को एक उपहार से ज्यादा कुछ नही था. इसीलिए उसे आंनद भवन के अजायबघर में रख दिया गया था.
तथ्यों से ये भी साबित होता है कि मठ ने #द_हिन्दू_न्यूज़ के उसी संस्करण में बाकायदा फ़ोटो सहित विज्ञापन देकर इस उपहार के बारे में प्रकाशित करवाया था जिससे लोगों को उस उपहार की और नेहरु जी को दिए गए सम्मान की जानकारी दी जा सके!
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