
मधुर स्मृतियाँ (कहानी) अचानक शशांक की नजर अपने शयन कक्ष की खिड़की पर जा टिकी थी. खिड़की में से अंदर झांकते हुए उसने जो देखा था, उस पर वह सकपकाया था और फिर मुस्करा दिया था. उसने देखा था कि विमला चैन से सो रही थी. विमला उसकी पत्नि थी. उसने देखा कि वह पसीने से लथपथ है मगर फिर भी गर्मी से एक दम बेखबर है. भयंकर गर्मी के बावजूद वह चैन से सो रही है. यह देख कर शशांक एक बार फिर से मुस्करा दिया था. शशांक फिर से क्यों मुस्कराया था? कहा न कि विमला पसीने से तरबतर थी. फिर भी गहरी नींद में डूब उतर रही थी. दोबारा मुस्कराने का कारण भी वही था. उसके बाद शशांक पुरानी यादों में खो गया था और अपनी उस बेचैनी को भूल गया था जिसने उसे कई घंटों से बेचैन कर रखा था. शशांक को अच्छी तरह से ज्ञात था कि अगर ढ़ोल नगाड़े भी बजते रहें तो भी उसकी प्रिय पत्नि को कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला. शशांक का अपनी प्रिय पत्नि की गहरी नींद से वास्ता पहली रात जिसे लोग मधुमास या सुहागरात कहते हैं, को ही पड़ गया था. जब वह अपने शयन कक्ष में गया तो वह घोड़े बेच कर सो रही थी. यह देख कर उसे बहुत अचरज हुआ था. जिस रात की नवयुग्ल बेसब्री और ...