#मन_की_बात सत्य और शब्द के बीच खड़ी रहती है दुर्गम दीवार, दुर्लभ होते हैं वे दुस्साहसी जो तोड़ पाते हैं वो दीवार. वो दीवार है कायरता की सच जान रह जाता है चुप, अपनों के खिलाफ षड्यंत्रों में शामिल हो जाता है गुपचुप. शब्द जब होते हैं सत्य का एहसास होता नहीं. होता है जब सत्य एहसास अभिव्यक्ति देने की हिम्मत नहीं. राम राम मित्रवर
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Showing posts from May, 2023
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अंधभक्त तोता (कहानी) 😂😂😂😂😂😂 अचानक हमें तोता पलने का शौक चर्राया था और बहेलिये से एक तोता खरीद लिया था. बहेलिये ने उसकी खूब तारीफ़ की थी. हम उसकी बातों में आ गए थे. हमने पूछा, “तोते का कोई नाम भी है या नहीं?” “साब, गंगा जाओ तो कहना गंगाराम और यमुना जाओ तो जमुनाराम,” बहेलिये ने कहा. “और कहीं न गये; यानि घर पर ही रहे तो क्या बोलें?” हमने पूछा. इससे पहले कि बहेलिया कुछ कहता तोता बोला, “पिट्ठू, पिट्ठू.” ‘पिट्ठू’ सुन कर हम चौंके. मगर बहेलिये को दाम दे चुके थे और वह चंपत हो चुका था. अगले दिन पिट्ठू सुबह सुबह चिल्लाने लगा, “उठो मोती, जय श्री राम, उठो मोती, जय श्री राम, उठो मोती, जय श्री राम.” “अबे यूं किस पर और क्यूँ चिल्ला रहा है?” “तुझ पर.” “क्यों?” “दाना पानी नहीं देना क्या? क्या तूं मोरों को ही दाना खिलाता रहेगा?” “अबे हम शशांक हैं. हमारा मोरों से क्या लेना देना? अरे रामू, जरा पिट्ठू को अमरूद के टुकड़े तो दे दे. ये हमारी नींद खराब किये दे रहा है.” “हमें अमरूद नहीं, काजू दो. अखरोट दो. किशमिश दो. पिश्ता दो. जो रोज खिलाया करते थे, वही दो.” काजू की रोटी और मोरों को दाना सुन कर हम ए...
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#नेहरु_जैसा_कोई_नहीं. अचानक लोकसभा के अध्यक्ष की आसंदी रिक्त हो गई. नया अध्यक्ष चुना जाना था. खुसर फुसर चल ही रही थी कि पंडित नेहरु उठे और कौम्युननिस्ट नेता सरदार हुकम सिंह का नाम पेश कर दिया. नेहरु जी की सभी इज्ज़त करते थे. निर्विरोध चुनाव संपन्न हो गया. शाम को सरदार हुक्म सिंह तीन मूर्ति भवन पहुंचे और बोले, "पंडित जी, मैंने आपको इतना बुरा भला कहा था. गालियाँ तक दी. फिर भी अपने मुझे अध्यक्ष बना दिया. मैं हैरान हूँ." नेहरु बोले, "नेहरु की सारे मुल्क में जय जयकार हो रही है., कोई तो हो जो उसकी आलोचना कर सके." सरदार हुकम सिंह निरुत्तर हो गए. आँखों में जल भर आया. चुपचाप चाय पीकर लौट गए. #इतिहास_के_झरोखे_से
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पुराने नेताओं के किस्से जब पढते हैं या सुनते है तो न केवल हंसी आ जाती है बल्कि आंसू भी छलक जाते हैं. १९६५. चीन ने नेहरु जी की पीठ में छुरा मारा था. नई पीढयों को बता दें कि नेहरु (भारत) चाऊ एन लाइ (चीन) मार्शल टीटो (युगोसविया) और नासर (मिश्र) ने विश्व हेतु #पंचशील के पांच सिद्धांत बनाए थे जिससे फिर से युद्ध न हों. याद रहे विश्व प्रथम और द्वितीय #विश्वयुद्ध की विभीषिकाएं भुगत चुका था. लाखों बच्चे यतीम हो गए थे और स्त्रियाँ विधवा. मगर चीन धोखा दे गया और भारत पर हमला कर दिया. संसद में जनसंघ का एकमात्र सांसद था अटल बिहारी. उसने कहा, "संसद में चर्चा होनी चाहिए." नेहरु तुरंत मान गए. २७ दिन तक चर्चा हुई. नेहरु जी को खरी खोटी सुनाई गई. सरदार हुकम सिंह ने तो हदें तक पार कर दी थी और नेहरु को गाली तक दे बैठे. नेहरु चुपचाप सुनते रहे. दोस्त द्वारा तोडा हुआ ह्रदय. मन अधीर. अब नेहरु जी को जवाब देना था. वे उठे और इतना ही कह पाए, "धोखा हुआ है. मैं उसकी जिम्मेवारी लेता हूँ. मगर एक बात बता दूँ. जो क्षेत्र चीन ने हड़पा है, वह बंजर है. घास का एक तिनका भी नहीं उगता." कांग्रेस सांसद महाव...